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क्या ख़ास है नरेंद्र मोदी के राष्ट्रीय शिक्षा निति में

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने आज ‘कॉन्क्लेव ओन ट्रांस्फ़ॉर्मेशनल रिफॉर्म्स इन हायर एजुकेशन’ को सम्बोधित किया। और वहां बोलते हुए उन्होंने हाल ही में लागु किये गए ‘राष्ट्रिय शिक्षा निति’ को विस्तार से समझाया। नरेंद्र मोदी ने कहा कि नए शिक्षा निति को लाने की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योकि वर्त्तमान शिक्षा निति बच्चों को ‘क्या सोचना है’ इस बात पे आधारित थी। जबकि आज के समय में बच्चों को ‘कैसे सोचना है’ ये सिखाना ज्यादा जरूरी हैं।

तो ऐसी क्या ख़ास बात है नरेंद्र मोदी के इस नए राष्ट्रिय शिक्षा निति में? क्यों प्रधान मंत्री इसे 21स्वी सदी का सबसे महत्वपूर्ण बदलाव बता रहे हैं? क्यों मोदी ये कह रहे हैं कि देश की दशा और दिशा इस शिक्षा निति पे आधारित होगी?

बच्चों को ‘लिटरेट’ नहीं, ‘एडुकेटेड’ बनाये

नयी शिक्षा निति बच्चों के मानशिक विकास को केंद्रबिंदु बना कर तैयार की गयी है। वर्त्तमान व्यवस्था में, बच्चे ने कितने नंबर्स अर्जित किये, इस बात में जोर दिया जाता है। चाहे वो नंबर विषय वस्तु को रट कर ही क्यों न हासिल किया गया हो। बच्चे ने कितनी जानकारी हासिल की, इस बात पे कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। इस कारन से अधिकतर बच्चों पर अकारण हीं एक मानशिक दबाव विकशित हो जाता था। और परिणाम स्वरुप कई बच्चे कम अंक आने के कारन आत्महत्या तक कर लेते थे। नरेंद्र मोदी की शिक्षा निति इस बात पे जोर देती है कि बच्चे ने कितना ज्ञान अर्जित किया। और फिर उसी के आधार पे उस बच्चे का आकलन किया जाये।

देश को ‘स्किल्ड रिसोर्सेज’ की जरूरत है

नरेंद्र मोदी की शिक्षा निति ‘स्किल डेवलपमेंट’ पर ज्यादा जोर देती है। नए शिक्षा निति में बच्चे के मन और रूचि के हिसाब से स्किल को पहचान कर उसे तराशने का काम भी किया जायेगा। ताकि जब बच्चा अपनी शिक्षा पूरी करे, उसके पास अपना एक हुनर भी हो जो उसे उस हुनर के हिसाब से रोज़गार भी दिला सके। आज हर साल लाखों बच्चे ग्रेजुएट होते हैं। लेकिन रोज़गार के अनुरूप उनके पास स्किल न होने के कारन उनको नौकरी नहीं मिलती है।

मातृभाषा का ज्ञान और सम्मान

नए शिक्षा निति में ये प्रावधान है कि पांचवी कक्षा तक की पढाई बच्चे अपने मातृभाषा में कर सकेंगे। यहाँ ये माना गया है कि जिस भाषा का उपयोग घर में हो रहा हो, अगर उसी भाषा का उपयोग स्कूल में भी हो तो बच्चे पाठ को जल्दी और अच्छी तरह से समझ सकते हैं। यहाँ फिर से इस बात पे ज्यादा ज़ोर है कि बच्चे विषय को समझे, न की उसे रट के आगे बढ़ जाएं। अंग्रेजी, हिंदी और एक तीसरी भाषा को विषय के रूप में पढ़ाया जायेगा ताकि जब बच्चे आगे की पढाई अंग्रेजी या फिर दूसरी भाषा में करना चाहे तो उहने कोई परेशानी न हो।

अगर पढाई छूट जाये तो फिर जब चाहे बिना रुकावट शुरू करें

कई बार ऐसा होता है कि बच्चे किसी कारणवश अपने हायर स्टडीज को पूरा नहीं कर पाते हैं। पैसे की कमी, घर की मज़बूरी या फिर किसी और कारन से उन्हें अपनी पढाई बीच में छोड़नी पड़ती है। ऐसी परिस्थिति में किसी ने अगर ग्रेजुएशन में एक साल की पढाई कर रखी है और फिर दोबारा उसे शुरू करना चाहे तो उसे पहले साल की पढाई फिर से करनी पड़ती है। नए शिक्षा निति में इस बात का पूरा ध्यान रखा गया है कि अगर किसी की पढाई मजबूरीवश छूट गयी थी, तो वो उसे दोबारा आसानी से शुरू कर सके। अगर कोई एक साल की पढाई पूरी कर के छोड़ता है तो उसे एक सर्टिफिकेट दिया जायेगा। दुसरे साल में डिप्लोमा और तीनो साल की पढाई पूरी करने पर डिग्री दी जाएगी। और स्टूडेंट अपना बचा हुआ कोर्स वही से शुरू कर सकेंगे जहाँ उन्होंने छोड़ा था।

हायर स्टडीज को किसी स्ट्रीम में न बांधें

कई बार ऐसा भी देखा गया है कि बच्चे जिज्ञासावस अपनी हायर स्टडीज किसी एक स्ट्रीम में चुन लेते हैं। बाद में मन न लगने के कारन वो उसे या तो छोड़ देते हैं या फिर किसी तरह से पूरा करते हैं। नरेंद्र मोदी का कहना है कि हायर स्टडीज में बच्चे अपने मन के मुताबिक अपने स्ट्रीम को भी बदल सकते हैं। इससे पढाई कभी बोझ नहीं लगेगी और बच्चे विषय वस्तु का पूरा ज्ञान भी प्राप्त कर सकेंगे।

शिक्षा किसी के लिए भी बोझ नहीं बननी चाहिए. साथ ही साथ शिक्षा एक स्टूडेंट को सक्षम भी बना सके। और सबसे बड़ी बात ये कि शिक्षा एक व्यापर नहीं बल्कि देश के विकास का आधार होना चाहिए। नरेंद्र मोदी की नयी राष्ट्रिय शिक्षा निति इन्ही मूलभूत बातों पे आधारित है। और यही इस नए शिक्षा निति की खास बात है।

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