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बिहार चुनाव के नतीजों में भविष्य तलाशते चिराग पासवान

चिराग में अभी राजनितिक परिपक्वता नहीं आयी है। चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी बिहार विधान सभा चुनाव में सिर्फ एक ही सीट जीत पायी।

बिहार चुनाव के नतीजे आ चुके हैं। और एक बार फिर नितीश कुमार की सरकार बनने जा रही है बिहार में, वही नितीश कुमार जिनके कारण चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी ने एनडीए से अलग हटकर चुनाव लड़ने का फैसला किया था। और वही नितीश कुमार जिनको नीचा दिखाना ही चिराग पासवान के चुनावी भाषणों का एक मात्र मकसद था। आज जब नितीश कुमार की सरकार फिर से बनने जा रही है, चिराग पासवान ने सिर्फ भाजपा और नरेंद्र मोदी को जीत की बधाई दी है।

11 नवंबर को अपने निवास पे किये गए प्रेस कांफ्रेंस में चिराग ने बिहार में एनडीए की जीत के लिए सिर्फ और सिर्फ नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार बताया। चिराग ने कहा कि ये सिर्फ मोदी का ही जादू है कि बिहार की जनता ने एक बार फिर से एनडीए की सरकार में भरोसा जताया है। चिराग ने फिर से स्पष्ट किया कि ये भरोसा सिर्फ मोदी और उनके द्वारा किये गए कामों पर ही है।

चिराग चाहते तो वो नितीश कुमार को भी बधाई दे सकते थे। राजनितिक नैतिकता भी यही कहती है। लेकिन चिराग ने ऐसा नहीं किया। साफ़ है, चिराग में अभी राजनितिक परिपक्वता नहीं आयी है। चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी बिहार विधान सभा चुनाव में सिर्फ एक ही सीट जीत पायी। जैसे आक्रामक रुख चिराग और उनके पार्टी के लोगों ने जदयू के खिलाफ अपनाया था, ऐसा लग रहा था कि नितीश के हिस्से के सारे वोट्स चिराग ले जायेंगे। ऐसा तो नहीं हुआ, उल्टा जनशक्ति पार्टी ने एनडीए के वोट्स काटने का काम किया। संभवतः एनडीए को 10 से 12 सीट और मिल सकती थी अगर चिराग वोट काटने का काम नहीं करते तो।

किसी भी चुनाव में कोई पार्टी हारती है तो कोई जीतती है। जितने वाली पार्टी प्रायः जश्न मनाने के बाद काम पे लग जाती है और हारने वाली पार्टी आत्म मंथन में जुट जाती है। अगर जनशक्ति पार्टी कि बात की जाये तो ये चुनाव जीती भी है और हारी भी है। लेकिन दुर्भाग्यवश चिराग यहाँ कुछ भी करते नज़र नहीं आ रहे है। चिराग न ही एनडीए के साथ जश्न में शामिल हो सकते हैं, और न ही वो ये मानने को तैयार हैं कि उनका अलग चुनाव लड़ने का फैसला ग़लत था और ऐसा करके उन्होंने एनडीए का ही नुक्सान किया है।

ऐसी परिस्थिति में चिराग को अपने पिता को याद करना चाहिए। रामविलास पासवान अपने विरोधियों के लिए भी कभी अपशब्दों का इस्तेमाल नहीं करते थे। याद कीजिये जब लालू प्रसाद ने रामविलास को मौसम वैज्ञानिक कहा था। राजनितिक सूझबूझ का उम्दा उदहारण देते हुए रामविलास ने लालू को एक अच्छा मित्र बताया था और कहा की लालू कितनी अच्छी तरह लोगों को पहचानते हैं।

रामविलास पासवान जैसी राजनितिक समझ और परिपक्वता आने में शायद थोड़ा समय लग जाये, लेकिन शुरुआत करने में कोई हर्ज़ नहीं है। चिराग पासवान जितनी जल्दी ये बात समझ ले उतना उनके और लोक जनशक्ति पार्टी के लिए अच्छा होगा। और उतनी ही जल्दी चिराग राजनितिक गलियारों में अपनी पहचान बना पाएंगे।

 

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